प्रकाश की गति कैसे मापी गई?
प्रकाश की गति कैसे मापी गई?
ब्रह्मांड में सबसे तेज गति से ट्रैवल करने वाली चीज है लाइट जिसकी स्पीड करीब 299792km/s होती है। पर क्या आप जानते हैं कि लाइट कि इस स्पीड को कब, किसने और किस तरह से मापा।
पुराने समय में लोग यही मानते थे कि प्रकाश की गति अनंत होती है और यह तुरंत ही किसी भी दूरी को तय कर सकती है लेकिन कुछ वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं थे। उस समय कई वैज्ञानिक थे जिन्होने प्रकाश की गति को मापने के प्रयास किए प्रकाश की गति को मापने की कोशिश सबसे पहले गैलीलियो गैलीली द्वारा की गयी।
गैलीलियो गैलिली का प्रयास
प्रकाश की गति को मापने का पहला प्रयास गैलीलियो गैलिली ने किया। गैलिली ने अपने एक प्रयोग के द्वारा प्रकाश की गति को मापने की कोशिश की।
गैलिली का ये प्रयोग कुछ इस प्रकार था
गैलिली ने दो ऊंची पहाड़ियों पर दो व्यक्ति को खड़ा कर दिया उन दोनों के हाथ में एक एक लालटेन था जो कपड़े से ढका हुआ था।
गैलिली ने दोनों व्यक्तियों को इस प्रकार से लालटेन से कपड़ा हटाने को कहा कि जब एक व्यक्ति कपड़ा हटाए तो दूसरे को लालटेन की रोशनी दिखाई दी और जब दूसरा व्यक्ति कपड़ा हटाए तो पहले वाले व्यक्ति को रोशनी दिखाई पड़े।
उसके बाद उन्होंने एक व्यक्ति द्वारा कपड़ा हटाने और दूसरे व्यक्ति द्वारा प्रकाश को देखने के बीच के समय को मापना चाहा पर वह उस समय को नहीं माफ सके क्योंकि दोनों व्यक्तियों के बीच की दूरी बहुत कम थी। इस तरह गैलिली द्वारा किया गया यह प्रयोग असफल रहा।
इसके बाद एक खगोलविज्ञानी और ओल रोमर ने प्रकाश की गति को मापने का प्रयास किया।
ओल रोमर का प्रयास
सन 1970 में एक खगोल विज्ञानी जिनका नाम था ओल रोमर। वे एक बार बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा Io(आयो) का अध्ययन कर रहे थे Io को बृहस्पति की एक परिक्रमा पूरी करने में 1.76 दिनों का समय लगता है। और परिक्रमा करने में लगने वाला यह समय हमेशा समान रहता है। लेकिन जब रोमर उस चंद्रमा के ग्रहण का अध्ययन कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि यह चंद्रमा साल में हमेशा उसी समय पर ब्रहस्पति के सामने से गुजरता हुआ नहीं दिखाई देता। मतलब कि उसके ग्रहण का समय निश्चित नहीं होता। उनकी इस बात ने सबको हैरान कर दिया था पर उस समय किसी को पता नहीं था कि ऐसा क्यों होता है।
इसके बाद रोमर ने और भी ज्यादा शोध किया और उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि जब बृहस्पति और उसके चंद्रमा पृथ्वी से दूर होते हैं तो दो ग्रहण के बीच का समय बढ़ जाता है और जब वे पृथ्वी के पास होते हैं तो दो ग्रहण के बीच का समय कम होता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि बृहस्पति के चंद्रमा के ग्रहण का और प्रकाश की गति का क्या संबंध है तो मैं बताता हूं।
किसी भी घटना को हम तभी देख पाते हैं जब उसका प्रकाश हम तक पहुंचता है और जब बृहस्पति और उसके चंद्रमा पृथ्वी से दूर होते है तो उसके प्रकाश को हम तक पहुंचने में ज्यादा समय लगता है इसीलिये हमे Io का ग्रहण ज्यादा देर से दिखाई देता है। और जब बृहस्पति और उसके चंद्रमा पृथ्वी के पास होते हैं तो उनके प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में कम समय लगता है इसलिए Io का ग्रहण हमें जल्दी दिखाई दे जाता है।
रोमर इस बात को समझ चुके थे उन्होंने Io के दिखाई देने के समय में अंतर तथा बृहस्पति और पृथ्वी के बीच की दूरियों में आने वाले अंतर से प्रकाश की गति की गणना की लेकिन उस समय ओल रोमर ने प्रकाश की गति को 214,000km/s
लेकिन आज के समय में तो प्रकाश की गति को 299792km/s माना जाता है।
असल में रोमर को प्रकाश की गति मापने में थोड़ी सी गलती हो गई थी क्योंकि उस समय के लोगों को सौरमंडल की दूरियों का सही ज्ञान नहीं था, उनको उस समय पृथ्वी और बृहस्पति की सही दूरी नहीं पता थी इस कारण से उनके द्वारा निकाली गई प्रकाश की गति सही नहीं थी।
लेकिन वह पहले व्यक्ति हुए जिन्होंने प्रकाश की एक निश्चित गति का पता लगाया।
इसके बाद समय के साथ विज्ञान का विकास हुआ
और हमें प्रकाश की गति का सही ज्ञान प्राप्त होता गया सन 1973 में एक वैज्ञानिक एवानसन द्वारा प्रकाश की गति को 299792.4574 किलोमीटर पर सेकंड बताया गया इसके बाद सन् 1983 में प्रकाश की बिल्कुल सही गति के बारे में पता चला जो कि 299792.458 किलोमीटर पर सेकंड।
धन्यवाद||🙂
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