ऐसा क्यों कहा जाता है कि किसी इंसान की औकात जाननी हो तो एक नज़र उसके जूते पर डालनी चाहिए?
ऐसा क्यों कहा जाता है कि किसी इंसान की औकात जाननी हो तो एक नज़र उसके जूते पर डालनी चाहिए?
मेरा मानना है कि इंसान की औकात से जूते की कीमत पता चलती है।
ब्राण्डेड चीजों के शौकीन मेरे पतिदेव मुझे भी वैसी ही चीजें खरीदने को प्रेरित करते थे।मेरी हमेशा उनसे यही बहस होती थी कि उतनी ही कीमत में जब चार चीजें मिल सकतीं हैं तो उस चीज पर ऐसे कौनसे लाल लगे हैं,जो ज्यादा खर्च करके भी एक ही लेनी पड़े?उनके तर्क पर मैं कभी सहमत नहीं होती थी क्योंकि ब्राण्डेड चीजों के लिए की गई फिजूलखर्ची मेरो समझ से बाहर होती थी।
काफी साल पहले एक दिन मैंने फुटवियर की एक दुकान के बाहर सड़क के किनारे लगे हुए सैण्डिल के उस रैक से एक जोड़ी सैण्डिल खरीदी,जिस पर सारी सैण्डिलों की कीमत 150 रुपए लिखी थी।
जब मैं पतिदेव के साथ वह सैण्डिल पहनकर अपनी परिचिता के घर गई तो बातों-बातों में उन्होंने कहा,
"तुम्हारी सैण्डिल बड़ी अच्छी लग रही है।कहाँ से कितने में खरीदी?"
मैं हंसी,"अमन शूज के बाहर रैक पर लगी थी,डेढ सौ रुपए में खरीदी।"
"हैं…,यह तो महंगी लग रही है।मैं नहीं मानती..कि यह डेढ़ सौ में मिली है।अब इतना झूठ मत बोलो।"फिर वह मेरे पतिदेव को पूछने लगी,"क्या यह सच कह रही है?तुम दोनों तो साथ में ही शॉपिंग करते हो न?"
"यह मेरी कहाँ सुनती है?महंगी चीजें इसको पसन्द ही नहीं आतीं।आपकी तरह इसको ब्राण्डेड चीजों का शौक नहीं है।" पतिदेव मुस्कुराए ।
"अच्छा है.. तुम्हारा बजट कभी नहीं बिगड़ेगा…और क्या चाहिए?" वह भी हंसी।
"तुम भी कुछ सीखो इससे।मेरा बजट तुम्हारी ब्राण्डेड चीजों की सनक से बिगड़ता है।इसके बजट की चिन्ता कर रही हो कभी अपने बजट के बारे में भी सोच लिया करो।" परिचिता के पति ने उनको ताना मारा।
परिचिता की अप्रसन्न मुद्रा से बात बिगड़ते देखकर मैंने उनके द्वारा बनाए पकौड़ों की प्रशंसा करनी शुरू कर दी,जो वाकई अच्छे बने थे।टॉपिक बदलने से माहौल भी बदल गया।
अब देखिए, परिचिता को पहले ही पता था कि पतिदेव मेरे लिए महंगी चीजें लेकर आते हैं,इसलिए उन्होंने सस्ती सैण्डिल को भी महंगी समझकर तारीफ कर दी।उन्होंने मेरे आर्थिक स्तर के हिसाब से जूतों की कीमत लगाई। ….ऐसे ही कोई साधारण स्तर का व्यक्ति महंगा जूता भी पहन ले तो लोग उसके जूते को भी सस्ता समझते हैं।
वैसे,हमें वही पहनना चाहिए जो हमारे शरीर और बजट दोनों को आरामदायक लगे।उच्च मध्यम वर्ग के लिए भी पैसे का सदुपयोग करने के बहुत से तरीके हैं।जरूरतमंद की मदद की जा सकती है।
कई बार जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ आ जातीं हैं,जब पैसा कितना भी हो कम लगता है।उस समय समझदारीपूर्वक की गई बचत ही काम आती है।
हाँ,यदि आप बड़े धनाढ्यों की श्रेणी में शुमार करते हैं,तब तो ब्राण्डेड जूतों की अल्मारी को आपके घर की शोभा बढ़ाने दीजिए..
..अन्यथा अपने जूतों से हमारी औकात दुनिया को बताने से अच्छा है कि वह हमें हमारे व्यवहार और विचारों से आँके,जूतों से नहीं।
आशा है संगीता जी मेरी बात से अवश्य सहमत होंगी :)
अस्वीकरण : ये मेरे निजी विचार हैं,आप सबका सहमत या असहमत होना आपका अधिकार है
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